UP Police ASI Previous Year Paper 04-12-2023 (Shift -2) Hindi MCQs. Prepare for your UP Police ASI Exam effectively with the comprehensive collection of previous year paper questions. Access a wide range of practice questions designed to enhance your knowledge and boost your performance. Master the exam content, improve time management, and increase your chances of scoring high. Start practicing now!
(1.)
प्रश्न:- निम्नलिखित में से एक वैध ईमेल एड्रेस (कौन-सा है?
प्रश्न:- निम्नलिखित में से एक वैध ईमेल एड्रेस (कौन-सा है?
(2.)
प्रश्न:- ‘युग मानस’ पत्रिका का प्रकाशन किस राज्य से हुआ था?
प्रश्न:- ‘युग मानस’ पत्रिका का प्रकाशन किस राज्य से हुआ था?
(3.)
प्रश्न:- प्लॉटर, प्रोजेक्टर, प्रिंटर जैसे उपकरण,____________ के उदाहरण हैं।
प्रश्न:- प्लॉटर, प्रोजेक्टर, प्रिंटर जैसे उपकरण,____________ के उदाहरण हैं।
(4.)
प्रश्न:- ‘चिदंबरा’ के लिए सुमित्रानंदन पंत को कौन-सा पुरस्कार प्र प्राप्त हुआ था?
प्रश्न:- ‘चिदंबरा’ के लिए सुमित्रानंदन पंत को कौन-सा पुरस्कार प्र प्राप्त हुआ था?
(5.)
प्रश्न:- जो सदा से चला आ रहा है इस अभिव्यक्ति के लिए एक उपयुक्त शब्द कौन-सा है?
प्रश्न:- जो सदा से चला आ रहा है इस अभिव्यक्ति के लिए एक उपयुक्त शब्द कौन-सा है?
(6.)
प्रश्न:- सॉफ्टवेयर क्या है?
प्रश्न:- सॉफ्टवेयर क्या है?
(7.)
प्रश्न:- लिनक्स एक_______ऑपरेटिंग सिस्टम है।
प्रश्न:- लिनक्स एक_______ऑपरेटिंग सिस्टम है।
(8.)
प्रश्न:- मूर्धन्य अल्पप्राण व्यंजन कौन-सा है?
प्रश्न:- मूर्धन्य अल्पप्राण व्यंजन कौन-सा है?
(9.)
प्रश्न:- हिंदी-उर्दू मिश्रित भाषा को कौन-सा नाम दिया जाता है?
प्रश्न:- हिंदी-उर्दू मिश्रित भाषा को कौन-सा नाम दिया जाता है?
(10.)
प्रश्न:- _________वह पथ है जिसकी कुल अवधि सबसे लंबी है, क्योंकि यह पूरी योजना की अवधि को निर्धारित करता है।
प्रश्न:- _________वह पथ है जिसकी कुल अवधि सबसे लंबी है, क्योंकि यह पूरी योजना की अवधि को निर्धारित करता है।
(11.)
प्रश्न:- फणीश्वरनाथ रेणु की पहली कहानी कौन-सी है?
प्रश्न:- फणीश्वरनाथ रेणु की पहली कहानी कौन-सी है?
(12.)
प्रश्न:- पोस्ट ऑफिस प्रोटोकॉल के लिए सामान्य पोर्ट कौन-सा है?
प्रश्न:- पोस्ट ऑफिस प्रोटोकॉल के लिए सामान्य पोर्ट कौन-सा है?
(13.)
प्रश्न:- कनक, कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय। वा खाये बौराए नर, या पाए बौराय ।। इन पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार कौन-सा है?
प्रश्न:- कनक, कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय। वा खाये बौराए नर, या पाए बौराय ।। इन पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार कौन-सा है?
(14.)
प्रश्न:- ‘कान’ शब्द का तत्सम रूप कौन-सा है?
प्रश्न:- ‘कान’ शब्द का तत्सम रूप कौन-सा है?
(15.)
प्रश्न:- वेब पेजों को देखने के लिए उपयोग किये जाने वाले एप्लिकेशन को कहा जाता है
प्रश्न:- वेब पेजों को देखने के लिए उपयोग किये जाने वाले एप्लिकेशन को कहा जाता है
(16.)
प्रश्न:- डिजिटल साउण्ड में रूपांतरण की प्रिकिर्या को के रूप में जाना जाता है।
प्रश्न:- डिजिटल साउण्ड में रूपांतरण की प्रिकिर्या को के रूप में जाना जाता है।
(17.)
प्रश्न:- 1980 के दशक की शुरुआत में बर्जने स्ट्रॉस्ट्रप द्वारा कौन-सी प्रोग्रामिंग भाषा विकसित की गई थी?
प्रश्न:- 1980 के दशक की शुरुआत में बर्जने स्ट्रॉस्ट्रप द्वारा कौन-सी प्रोग्रामिंग भाषा विकसित की गई थी?
(18.)
प्रश्न:- एक इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल प्रोग्रामयोग्य कंप्यूटिंग डिवाइस, जिसका उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मन गूढलेख को पढ़ने के लिए किया गया था. उसे _______कहा जाता है।
प्रश्न:- एक इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल प्रोग्रामयोग्य कंप्यूटिंग डिवाइस, जिसका उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मन गूढलेख को पढ़ने के लिए किया गया था. उसे _______कहा जाता है।
(19.)
प्रश्न:- स्टीरियो इमेज का उपयोग आमतौर पर किसके लिए क्या जाता है?
प्रश्न:- स्टीरियो इमेज का उपयोग आमतौर पर किसके लिए क्या जाता है?
(20.)
प्रश्न:- इनमें स्लीलिंग शब्द कौन-सा है?
प्रश्न:- इनमें स्लीलिंग शब्द कौन-सा है?
(21.)
प्रश्न:- देशभक्ति शब्द में कौन-सा समास है?
प्रश्न:- देशभक्ति शब्द में कौन-सा समास है?
(22.)
प्रश्न:- एमएस एक्सेल में, संख्याओं के समुच्चय में सबसे बड़े मान की गणना कौन-सा फ़ंक्शन (फलन) करता है?
प्रश्न:- एमएस एक्सेल में, संख्याओं के समुच्चय में सबसे बड़े मान की गणना कौन-सा फ़ंक्शन (फलन) करता है?
(23.)
प्रश्न:- झंडा उठाना – मुहावरे का अर्थ क्या है?
प्रश्न:- झंडा उठाना – मुहावरे का अर्थ क्या है?
(24.)
प्रश्न:- निम्नलिखित में से माइक्रोसॉफ्ट की वेब-आधारित मेल सेवा कौन-सी है?
प्रश्न:- निम्नलिखित में से माइक्रोसॉफ्ट की वेब-आधारित मेल सेवा कौन-सी है?
(25.)
प्रश्न:- ऋग्वेद में किस भाषा का प्रधीग हुआ है?
प्रश्न:- ऋग्वेद में किस भाषा का प्रधीग हुआ है?
(26.)
प्रश्न:- ओष्ठय महाप्राण अधोष व्यंजन वर्ष का उदाहरण कौन-सा है?
प्रश्न:- ओष्ठय महाप्राण अधोष व्यंजन वर्ष का उदाहरण कौन-सा है?
(27.)
प्रश्न:- कंप्यूटर पर लॉगिन नाम और पासवर्ड के सत्यापन को किस रूप में जाना जाता है?
प्रश्न:- कंप्यूटर पर लॉगिन नाम और पासवर्ड के सत्यापन को किस रूप में जाना जाता है?
(28.)
प्रश्न:- सद्य अनुक्रिया संचार (रीपल-टाइम कम्यूनिकेशन) के लिए एक वीडियो कोतेबोरेशन टूल है।
प्रश्न:- सद्य अनुक्रिया संचार (रीपल-टाइम कम्यूनिकेशन) के लिए एक वीडियो कोतेबोरेशन टूल है।
(29.)
प्रश्न:- प्रत्युपकार’ शब्द में कौन-सा उपसर्ग है?
प्रश्न:- प्रत्युपकार’ शब्द में कौन-सा उपसर्ग है?
(30.)
प्रश्न:- जो कानून के विरुद्ध हो इस अभिव्यक्ति के लिए एक उपयुक्त शब्द कौन-सा है?
प्रश्न:- जो कानून के विरुद्ध हो इस अभिव्यक्ति के लिए एक उपयुक्त शब्द कौन-सा है?
(31.)
प्रश्न:- फ्लोचार्ट में एक वृत्त क्या दर्शाता है?
प्रश्न:- फ्लोचार्ट में एक वृत्त क्या दर्शाता है?
(32.)
प्रश्न:- वीडियो डाउनलोड करते समय प्रदर्शित होने वाली छवि को निर्दिष्ट करने के लिए video टैग में निम्न में से कौन-सी विशेषता का उपयोग किया जाता है?
प्रश्न:- वीडियो डाउनलोड करते समय प्रदर्शित होने वाली छवि को निर्दिष्ट करने के लिए video टैग में निम्न में से कौन-सी विशेषता का उपयोग किया जाता है?
(33.)
प्रश्न:- खिचड़ी पकाना – मुहावरे का अर्थ क्या है?
प्रश्न:- खिचड़ी पकाना – मुहावरे का अर्थ क्या है?
(34.)
प्रश्न:- आईटी प्रबंधन में ईआईएस का क्या मतलब है?
प्रश्न:- आईटी प्रबंधन में ईआईएस का क्या मतलब है?
(35.)
प्रश्न:- एचडीएमआई (HDMI) का पूर्ण रूप क्या है?
प्रश्न:- एचडीएमआई (HDMI) का पूर्ण रूप क्या है?
(36.)
प्रश्न:- ‘कपूत’ का पर्यायवाची शब्द कौन-सा है?
प्रश्न:- ‘कपूत’ का पर्यायवाची शब्द कौन-सा है?
(37.)
प्रश्न:- जब आपकी अन्य फाइलें खुली हो तो डेस्कटॉप प्रदर्शित करने के लिए शॉर्टकट कुंजी कौन-सी है?
प्रश्न:- जब आपकी अन्य फाइलें खुली हो तो डेस्कटॉप प्रदर्शित करने के लिए शॉर्टकट कुंजी कौन-सी है?
(38.)
प्रश्न:- माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल की कौन-सी विशेषता (फीचर) का उपयोग परिभाषित अनुक्रम में दर्ज किए गए डेटा को स्वचातित करने के लिए किया जाता है?
प्रश्न:- माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल की कौन-सी विशेषता (फीचर) का उपयोग परिभाषित अनुक्रम में दर्ज किए गए डेटा को स्वचातित करने के लिए किया जाता है?
(39.)
प्रश्न:- मिलाप शब्द में कोन-सा प्रत्यय है?
प्रश्न:- मिलाप शब्द में कोन-सा प्रत्यय है?
(40.)
प्रश्न:- “अवर” का विलोम शब्द कौन-सा है?
प्रश्न:- “अवर” का विलोम शब्द कौन-सा है?
(41.)
प्रश्न:- जिस पर्यावरण में किए गए कार्यों को संख्यांकित नहीं किया जा सकता है, उसे___________पर्यावरण कहा जाता है।
प्रश्न:- जिस पर्यावरण में किए गए कार्यों को संख्यांकित नहीं किया जा सकता है, उसे___________पर्यावरण कहा जाता है।
(42.)
प्रश्न:- अपाचे टॉमकेर……….का एक उदाहरण है, जो वेब संसाधनों के लिए क्लाइंट HTTP अनुरोधों का संचालन कर सकता है।
प्रश्न:- अपाचे टॉमकेर……….का एक उदाहरण है, जो वेब संसाधनों के लिए क्लाइंट HTTP अनुरोधों का संचालन कर सकता है।
(43.)
प्रश्न:- ————-माइक्रोसॉफ्ट विडोज संस्करणों के साथ शामिल एक पूर्ण विस्तार-क्षेत्र कूटलेखन (फुल वॉल्यूम एन्क्रिप्शन) सुविधा है।
प्रश्न:- ————-माइक्रोसॉफ्ट विडोज संस्करणों के साथ शामिल एक पूर्ण विस्तार-क्षेत्र कूटलेखन (फुल वॉल्यूम एन्क्रिप्शन) सुविधा है।
(44.)
प्रश्न:- पदि सभी उपकरण एक केंद्रीय हब से जुड़े हैं, तो टोपोलॉजी (सांस्थिति) को क्या कहा जाता है?
प्रश्न:- पदि सभी उपकरण एक केंद्रीय हब से जुड़े हैं, तो टोपोलॉजी (सांस्थिति) को क्या कहा जाता है?
(45.)
प्रश्न:- परमौषध शब्द का संधि-विच्छेद कौन-सा है?
प्रश्न:- परमौषध शब्द का संधि-विच्छेद कौन-सा है?
(46.)
निर्देश:- अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-
ध्वनि-प्रभाव संकेत रेडियो-नाटक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ध्वनि-प्रभाव संवादों के लिए आधार स्तंभ की भांति हैं। संवादों की भावनाओं की रसात्मकता ध्वनि-संकेतों से बढ़ सकती है। संवादों में उत्साह, आनंद, दुःख, व्यंग्य, लपात्मकता, उतार-चढ़ाव आदि के लिए संकेत होते हैं। संवाद-संकेत संवादों की जीवंतता, सार्थकता और संदर्भयुक्तता के लिए अपेक्षित होते हैं। संवाद के अंतर्गत पात्र का हँसना, दुःख प्रकट करना, रोना, दीर्घ सांस लेना जैसे संदर्भों का संकेत देने के लिए संवाद-संकेतों की जरूरत पड़ती है। वास्तव में रेडियो केवल श्रव्य-माध्यम होने के कारण इन ध्वनि-प्रभाव संकेतों के बिना दृश्यावली स्थापित करने में कठिनाई होती है। उदाहरण के लिए नाटक की घटना में पात्रों को किसी रेलवे स्टेशन में संवाद करते हुए पाया जाता है तो इसके लिए रेत के आने-जाने, उद्घोषणा यात्रियों और चाय-नाश्ता बेचनेवालों का शोरगुल आदि दृश्य का सुजन ध्वनि प्रभाव संकेतों से ही संभव है। और इसी प्रकार के दृश्यों के लिए कई प्रकार की आवाजें गधा दरवाजा खुलने, बंद होने, गाड़ियों के आने जाने, किसी के आने-जाने की आहटें, बच्चों के खेलने की आवाजें आदि का सृजन इससे संभव है। आमतौर पर नाटक के दौरान उत्पादित ध्वनियों, कुछ पूर्व-रिकार्डेड ध्वनियाँ होती हैं। सामान्यतः रेडियो नाटक का रिकार्डिंग स्टूडियो पर होता है, अतः सभी प्रकार की ध्वनियाँ, ध्वनि-प्रभाव प्रत्यक्षतः नाटक के रिकार्डिंग के दौरान ही उत्पन्न करने में कठिनाई होती है, अतः पूर्व में रिकार्ड की गई ध्वनियों का इस्तेमाल किया जाता है।
प्रश्न:- रेडियो-नाटक लेखन में रेलवे स्टेशन का शोर, दरवाजा खुलने, बंद होने की आवाज आदि के लिए किन संकेतों का प्रयोग होता है?
निर्देश:- अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-
ध्वनि-प्रभाव संकेत रेडियो-नाटक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ध्वनि-प्रभाव संवादों के लिए आधार स्तंभ की भांति हैं। संवादों की भावनाओं की रसात्मकता ध्वनि-संकेतों से बढ़ सकती है। संवादों में उत्साह, आनंद, दुःख, व्यंग्य, लपात्मकता, उतार-चढ़ाव आदि के लिए संकेत होते हैं। संवाद-संकेत संवादों की जीवंतता, सार्थकता और संदर्भयुक्तता के लिए अपेक्षित होते हैं। संवाद के अंतर्गत पात्र का हँसना, दुःख प्रकट करना, रोना, दीर्घ सांस लेना जैसे संदर्भों का संकेत देने के लिए संवाद-संकेतों की जरूरत पड़ती है। वास्तव में रेडियो केवल श्रव्य-माध्यम होने के कारण इन ध्वनि-प्रभाव संकेतों के बिना दृश्यावली स्थापित करने में कठिनाई होती है। उदाहरण के लिए नाटक की घटना में पात्रों को किसी रेलवे स्टेशन में संवाद करते हुए पाया जाता है तो इसके लिए रेत के आने-जाने, उद्घोषणा यात्रियों और चाय-नाश्ता बेचनेवालों का शोरगुल आदि दृश्य का सुजन ध्वनि प्रभाव संकेतों से ही संभव है। और इसी प्रकार के दृश्यों के लिए कई प्रकार की आवाजें गधा दरवाजा खुलने, बंद होने, गाड़ियों के आने जाने, किसी के आने-जाने की आहटें, बच्चों के खेलने की आवाजें आदि का सृजन इससे संभव है। आमतौर पर नाटक के दौरान उत्पादित ध्वनियों, कुछ पूर्व-रिकार्डेड ध्वनियाँ होती हैं। सामान्यतः रेडियो नाटक का रिकार्डिंग स्टूडियो पर होता है, अतः सभी प्रकार की ध्वनियाँ, ध्वनि-प्रभाव प्रत्यक्षतः नाटक के रिकार्डिंग के दौरान ही उत्पन्न करने में कठिनाई होती है, अतः पूर्व में रिकार्ड की गई ध्वनियों का इस्तेमाल किया जाता है।
प्रश्न:- रेडियो-नाटक लेखन में रेलवे स्टेशन का शोर, दरवाजा खुलने, बंद होने की आवाज आदि के लिए किन संकेतों का प्रयोग होता है?
(47.)
निर्देश:- अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-
ध्वनि-प्रभाव संकेत रेडियो-नाटक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ध्वनि-प्रभाव संवादों के लिए आधार स्तंभ की भांति हैं। संवादों की भावनाओं की रसात्मकता ध्वनि-संकेतों से बढ़ सकती है। संवादों में उत्साह, आनंद, दुःख, व्यंग्य, लपात्मकता, उतार-चढ़ाव आदि के लिए संकेत होते हैं। संवाद-संकेत संवादों की जीवंतता, सार्थकता और संदर्भयुक्तता के लिए अपेक्षित होते हैं। संवाद के अंतर्गत पात्र का हँसना, दुःख प्रकट करना, रोना, दीर्घ सांस लेना जैसे संदर्भों का संकेत देने के लिए संवाद-संकेतों की जरूरत पड़ती है। वास्तव में रेडियो केवल श्रव्य-माध्यम होने के कारण इन ध्वनि-प्रभाव संकेतों के बिना दृश्यावली स्थापित करने में कठिनाई होती है। उदाहरण के लिए नाटक की घटना में पात्रों को किसी रेलवे स्टेशन में संवाद करते हुए पाया जाता है तो इसके लिए रेत के आने-जाने, उद्घोषणा यात्रियों और चाय-नाश्ता बेचनेवालों का शोरगुल आदि दृश्य का सुजन ध्वनि प्रभाव संकेतों से ही संभव है। और इसी प्रकार के दृश्यों के लिए कई प्रकार की आवाजें गधा दरवाजा खुलने, बंद होने, गाड़ियों के आने जाने, किसी के आने-जाने की आहटें, बच्चों के खेलने की आवाजें आदि का सृजन इससे संभव है। आमतौर पर नाटक के दौरान उत्पादित ध्वनियों, कुछ पूर्व-रिकार्डेड ध्वनियाँ होती हैं। सामान्यतः रेडियो नाटक का रिकार्डिंग स्टूडियो पर होता है, अतः सभी प्रकार की ध्वनियाँ, ध्वनि-प्रभाव प्रत्यक्षतः नाटक के रिकार्डिंग के दौरान ही उत्पन्न करने में कठिनाई होती है, अतः पूर्व में रिकार्ड की गई ध्वनियों का इस्तेमाल किया जाता है।
प्रश्न:- संवाद-संकेत क्यों अपेक्षित है?
निर्देश:- अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-
ध्वनि-प्रभाव संकेत रेडियो-नाटक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ध्वनि-प्रभाव संवादों के लिए आधार स्तंभ की भांति हैं। संवादों की भावनाओं की रसात्मकता ध्वनि-संकेतों से बढ़ सकती है। संवादों में उत्साह, आनंद, दुःख, व्यंग्य, लपात्मकता, उतार-चढ़ाव आदि के लिए संकेत होते हैं। संवाद-संकेत संवादों की जीवंतता, सार्थकता और संदर्भयुक्तता के लिए अपेक्षित होते हैं। संवाद के अंतर्गत पात्र का हँसना, दुःख प्रकट करना, रोना, दीर्घ सांस लेना जैसे संदर्भों का संकेत देने के लिए संवाद-संकेतों की जरूरत पड़ती है। वास्तव में रेडियो केवल श्रव्य-माध्यम होने के कारण इन ध्वनि-प्रभाव संकेतों के बिना दृश्यावली स्थापित करने में कठिनाई होती है। उदाहरण के लिए नाटक की घटना में पात्रों को किसी रेलवे स्टेशन में संवाद करते हुए पाया जाता है तो इसके लिए रेत के आने-जाने, उद्घोषणा यात्रियों और चाय-नाश्ता बेचनेवालों का शोरगुल आदि दृश्य का सुजन ध्वनि प्रभाव संकेतों से ही संभव है। और इसी प्रकार के दृश्यों के लिए कई प्रकार की आवाजें गधा दरवाजा खुलने, बंद होने, गाड़ियों के आने जाने, किसी के आने-जाने की आहटें, बच्चों के खेलने की आवाजें आदि का सृजन इससे संभव है। आमतौर पर नाटक के दौरान उत्पादित ध्वनियों, कुछ पूर्व-रिकार्डेड ध्वनियाँ होती हैं। सामान्यतः रेडियो नाटक का रिकार्डिंग स्टूडियो पर होता है, अतः सभी प्रकार की ध्वनियाँ, ध्वनि-प्रभाव प्रत्यक्षतः नाटक के रिकार्डिंग के दौरान ही उत्पन्न करने में कठिनाई होती है, अतः पूर्व में रिकार्ड की गई ध्वनियों का इस्तेमाल किया जाता है।
प्रश्न:- संवाद-संकेत क्यों अपेक्षित है?
(48.)
निर्देश:- अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-
ध्वनि-प्रभाव संकेत रेडियो-नाटक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ध्वनि-प्रभाव संवादों के लिए आधार स्तंभ की भांति हैं। संवादों की भावनाओं की रसात्मकता ध्वनि-संकेतों से बढ़ सकती है। संवादों में उत्साह, आनंद, दुःख, व्यंग्य, लपात्मकता, उतार-चढ़ाव आदि के लिए संकेत होते हैं। संवाद-संकेत संवादों की जीवंतता, सार्थकता और संदर्भयुक्तता के लिए अपेक्षित होते हैं। संवाद के अंतर्गत पात्र का हँसना, दुःख प्रकट करना, रोना, दीर्घ सांस लेना जैसे संदर्भों का संकेत देने के लिए संवाद-संकेतों की जरूरत पड़ती है। वास्तव में रेडियो केवल श्रव्य-माध्यम होने के कारण इन ध्वनि-प्रभाव संकेतों के बिना दृश्यावली स्थापित करने में कठिनाई होती है। उदाहरण के लिए नाटक की घटना में पात्रों को किसी रेलवे स्टेशन में संवाद करते हुए पाया जाता है तो इसके लिए रेत के आने-जाने, उद्घोषणा यात्रियों और चाय-नाश्ता बेचनेवालों का शोरगुल आदि दृश्य का सुजन ध्वनि प्रभाव संकेतों से ही संभव है। और इसी प्रकार के दृश्यों के लिए कई प्रकार की आवाजें गधा दरवाजा खुलने, बंद होने, गाड़ियों के आने जाने, किसी के आने-जाने की आहटें, बच्चों के खेलने की आवाजें आदि का सृजन इससे संभव है। आमतौर पर नाटक के दौरान उत्पादित ध्वनियों, कुछ पूर्व-रिकार्डेड ध्वनियाँ होती हैं। सामान्यतः रेडियो नाटक का रिकार्डिंग स्टूडियो पर होता है, अतः सभी प्रकार की ध्वनियाँ, ध्वनि-प्रभाव प्रत्यक्षतः नाटक के रिकार्डिंग के दौरान ही उत्पन्न करने में कठिनाई होती है, अतः पूर्व में रिकार्ड की गई ध्वनियों का इस्तेमाल किया जाता है।
प्रश्न:- रेडियो-नाटक लेखन में ध्वनि प्रभाव संकेतों का उद्देश्य क्या है?
निर्देश:- अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-
ध्वनि-प्रभाव संकेत रेडियो-नाटक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ध्वनि-प्रभाव संवादों के लिए आधार स्तंभ की भांति हैं। संवादों की भावनाओं की रसात्मकता ध्वनि-संकेतों से बढ़ सकती है। संवादों में उत्साह, आनंद, दुःख, व्यंग्य, लपात्मकता, उतार-चढ़ाव आदि के लिए संकेत होते हैं। संवाद-संकेत संवादों की जीवंतता, सार्थकता और संदर्भयुक्तता के लिए अपेक्षित होते हैं। संवाद के अंतर्गत पात्र का हँसना, दुःख प्रकट करना, रोना, दीर्घ सांस लेना जैसे संदर्भों का संकेत देने के लिए संवाद-संकेतों की जरूरत पड़ती है। वास्तव में रेडियो केवल श्रव्य-माध्यम होने के कारण इन ध्वनि-प्रभाव संकेतों के बिना दृश्यावली स्थापित करने में कठिनाई होती है। उदाहरण के लिए नाटक की घटना में पात्रों को किसी रेलवे स्टेशन में संवाद करते हुए पाया जाता है तो इसके लिए रेत के आने-जाने, उद्घोषणा यात्रियों और चाय-नाश्ता बेचनेवालों का शोरगुल आदि दृश्य का सुजन ध्वनि प्रभाव संकेतों से ही संभव है। और इसी प्रकार के दृश्यों के लिए कई प्रकार की आवाजें गधा दरवाजा खुलने, बंद होने, गाड़ियों के आने जाने, किसी के आने-जाने की आहटें, बच्चों के खेलने की आवाजें आदि का सृजन इससे संभव है। आमतौर पर नाटक के दौरान उत्पादित ध्वनियों, कुछ पूर्व-रिकार्डेड ध्वनियाँ होती हैं। सामान्यतः रेडियो नाटक का रिकार्डिंग स्टूडियो पर होता है, अतः सभी प्रकार की ध्वनियाँ, ध्वनि-प्रभाव प्रत्यक्षतः नाटक के रिकार्डिंग के दौरान ही उत्पन्न करने में कठिनाई होती है, अतः पूर्व में रिकार्ड की गई ध्वनियों का इस्तेमाल किया जाता है।
प्रश्न:- रेडियो-नाटक लेखन में ध्वनि प्रभाव संकेतों का उद्देश्य क्या है?
(49.)
निर्देश:- अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-
ध्वनि-प्रभाव संकेत रेडियो-नाटक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ध्वनि-प्रभाव संवादों के लिए आधार स्तंभ की भांति हैं। संवादों की भावनाओं की रसात्मकता ध्वनि-संकेतों से बढ़ सकती है। संवादों में उत्साह, आनंद, दुःख, व्यंग्य, लपात्मकता, उतार-चढ़ाव आदि के लिए संकेत होते हैं। संवाद-संकेत संवादों की जीवंतता, सार्थकता और संदर्भयुक्तता के लिए अपेक्षित होते हैं। संवाद के अंतर्गत पात्र का हँसना, दुःख प्रकट करना, रोना, दीर्घ सांस लेना जैसे संदर्भों का संकेत देने के लिए संवाद-संकेतों की जरूरत पड़ती है। वास्तव में रेडियो केवल श्रव्य-माध्यम होने के कारण इन ध्वनि-प्रभाव संकेतों के बिना दृश्यावली स्थापित करने में कठिनाई होती है। उदाहरण के लिए नाटक की घटना में पात्रों को किसी रेलवे स्टेशन में संवाद करते हुए पाया जाता है तो इसके लिए रेत के आने-जाने, उद्घोषणा यात्रियों और चाय-नाश्ता बेचनेवालों का शोरगुल आदि दृश्य का सुजन ध्वनि प्रभाव संकेतों से ही संभव है। और इसी प्रकार के दृश्यों के लिए कई प्रकार की आवाजें गधा दरवाजा खुलने, बंद होने, गाड़ियों के आने जाने, किसी के आने-जाने की आहटें, बच्चों के खेलने की आवाजें आदि का सृजन इससे संभव है। आमतौर पर नाटक के दौरान उत्पादित ध्वनियों, कुछ पूर्व-रिकार्डेड ध्वनियाँ होती हैं। सामान्यतः रेडियो नाटक का रिकार्डिंग स्टूडियो पर होता है, अतः सभी प्रकार की ध्वनियाँ, ध्वनि-प्रभाव प्रत्यक्षतः नाटक के रिकार्डिंग के दौरान ही उत्पन्न करने में कठिनाई होती है, अतः पूर्व में रिकार्ड की गई ध्वनियों का इस्तेमाल किया जाता है।
प्रश्न:- इस अनुच्छेद के लिए उपयुक्त शीर्षक क्या हो सकता है?
निर्देश:- अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-
ध्वनि-प्रभाव संकेत रेडियो-नाटक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ध्वनि-प्रभाव संवादों के लिए आधार स्तंभ की भांति हैं। संवादों की भावनाओं की रसात्मकता ध्वनि-संकेतों से बढ़ सकती है। संवादों में उत्साह, आनंद, दुःख, व्यंग्य, लपात्मकता, उतार-चढ़ाव आदि के लिए संकेत होते हैं। संवाद-संकेत संवादों की जीवंतता, सार्थकता और संदर्भयुक्तता के लिए अपेक्षित होते हैं। संवाद के अंतर्गत पात्र का हँसना, दुःख प्रकट करना, रोना, दीर्घ सांस लेना जैसे संदर्भों का संकेत देने के लिए संवाद-संकेतों की जरूरत पड़ती है। वास्तव में रेडियो केवल श्रव्य-माध्यम होने के कारण इन ध्वनि-प्रभाव संकेतों के बिना दृश्यावली स्थापित करने में कठिनाई होती है। उदाहरण के लिए नाटक की घटना में पात्रों को किसी रेलवे स्टेशन में संवाद करते हुए पाया जाता है तो इसके लिए रेत के आने-जाने, उद्घोषणा यात्रियों और चाय-नाश्ता बेचनेवालों का शोरगुल आदि दृश्य का सुजन ध्वनि प्रभाव संकेतों से ही संभव है। और इसी प्रकार के दृश्यों के लिए कई प्रकार की आवाजें गधा दरवाजा खुलने, बंद होने, गाड़ियों के आने जाने, किसी के आने-जाने की आहटें, बच्चों के खेलने की आवाजें आदि का सृजन इससे संभव है। आमतौर पर नाटक के दौरान उत्पादित ध्वनियों, कुछ पूर्व-रिकार्डेड ध्वनियाँ होती हैं। सामान्यतः रेडियो नाटक का रिकार्डिंग स्टूडियो पर होता है, अतः सभी प्रकार की ध्वनियाँ, ध्वनि-प्रभाव प्रत्यक्षतः नाटक के रिकार्डिंग के दौरान ही उत्पन्न करने में कठिनाई होती है, अतः पूर्व में रिकार्ड की गई ध्वनियों का इस्तेमाल किया जाता है।
प्रश्न:- इस अनुच्छेद के लिए उपयुक्त शीर्षक क्या हो सकता है?
(50.)
निर्देश:- अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-
ध्वनि-प्रभाव संकेत रेडियो-नाटक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ध्वनि-प्रभाव संवादों के लिए आधार स्तंभ की भांति हैं। संवादों की भावनाओं की रसात्मकता ध्वनि-संकेतों से बढ़ सकती है। संवादों में उत्साह, आनंद, दुःख, व्यंग्य, लपात्मकता, उतार-चढ़ाव आदि के लिए संकेत होते हैं। संवाद-संकेत संवादों की जीवंतता, सार्थकता और संदर्भयुक्तता के लिए अपेक्षित होते हैं। संवाद के अंतर्गत पात्र का हँसना, दुःख प्रकट करना, रोना, दीर्घ सांस लेना जैसे संदर्भों का संकेत देने के लिए संवाद-संकेतों की जरूरत पड़ती है। वास्तव में रेडियो केवल श्रव्य-माध्यम होने के कारण इन ध्वनि-प्रभाव संकेतों के बिना दृश्यावली स्थापित करने में कठिनाई होती है। उदाहरण के लिए नाटक की घटना में पात्रों को किसी रेलवे स्टेशन में संवाद करते हुए पाया जाता है तो इसके लिए रेत के आने-जाने, उद्घोषणा यात्रियों और चाय-नाश्ता बेचनेवालों का शोरगुल आदि दृश्य का सुजन ध्वनि प्रभाव संकेतों से ही संभव है। और इसी प्रकार के दृश्यों के लिए कई प्रकार की आवाजें गधा दरवाजा खुलने, बंद होने, गाड़ियों के आने जाने, किसी के आने-जाने की आहटें, बच्चों के खेलने की आवाजें आदि का सृजन इससे संभव है। आमतौर पर नाटक के दौरान उत्पादित ध्वनियों, कुछ पूर्व-रिकार्डेड ध्वनियाँ होती हैं। सामान्यतः रेडियो नाटक का रिकार्डिंग स्टूडियो पर होता है, अतः सभी प्रकार की ध्वनियाँ, ध्वनि-प्रभाव प्रत्यक्षतः नाटक के रिकार्डिंग के दौरान ही उत्पन्न करने में कठिनाई होती है, अतः पूर्व में रिकार्ड की गई ध्वनियों का इस्तेमाल किया जाता है।
प्रश्न:- यह अनुच्छेद किस विषय पर केंद्रित है?
निर्देश:- अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-
ध्वनि-प्रभाव संकेत रेडियो-नाटक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ध्वनि-प्रभाव संवादों के लिए आधार स्तंभ की भांति हैं। संवादों की भावनाओं की रसात्मकता ध्वनि-संकेतों से बढ़ सकती है। संवादों में उत्साह, आनंद, दुःख, व्यंग्य, लपात्मकता, उतार-चढ़ाव आदि के लिए संकेत होते हैं। संवाद-संकेत संवादों की जीवंतता, सार्थकता और संदर्भयुक्तता के लिए अपेक्षित होते हैं। संवाद के अंतर्गत पात्र का हँसना, दुःख प्रकट करना, रोना, दीर्घ सांस लेना जैसे संदर्भों का संकेत देने के लिए संवाद-संकेतों की जरूरत पड़ती है। वास्तव में रेडियो केवल श्रव्य-माध्यम होने के कारण इन ध्वनि-प्रभाव संकेतों के बिना दृश्यावली स्थापित करने में कठिनाई होती है। उदाहरण के लिए नाटक की घटना में पात्रों को किसी रेलवे स्टेशन में संवाद करते हुए पाया जाता है तो इसके लिए रेत के आने-जाने, उद्घोषणा यात्रियों और चाय-नाश्ता बेचनेवालों का शोरगुल आदि दृश्य का सुजन ध्वनि प्रभाव संकेतों से ही संभव है। और इसी प्रकार के दृश्यों के लिए कई प्रकार की आवाजें गधा दरवाजा खुलने, बंद होने, गाड़ियों के आने जाने, किसी के आने-जाने की आहटें, बच्चों के खेलने की आवाजें आदि का सृजन इससे संभव है। आमतौर पर नाटक के दौरान उत्पादित ध्वनियों, कुछ पूर्व-रिकार्डेड ध्वनियाँ होती हैं। सामान्यतः रेडियो नाटक का रिकार्डिंग स्टूडियो पर होता है, अतः सभी प्रकार की ध्वनियाँ, ध्वनि-प्रभाव प्रत्यक्षतः नाटक के रिकार्डिंग के दौरान ही उत्पन्न करने में कठिनाई होती है, अतः पूर्व में रिकार्ड की गई ध्वनियों का इस्तेमाल किया जाता है।
प्रश्न:- यह अनुच्छेद किस विषय पर केंद्रित है?
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